हरिद्वार : ज्ञानलोक कालोनी कनखल स्थित श्रद्धा भक्ति आश्रम के संत महंत राम गोविंद दास के लापता होने की गुत्थी पुलिस ने सुलझा ली है। पुलिस ने पर्दाफाश किया है कि उनकी हत्या की जा चुकी है। मामले में दिल्ली निवासी कपड़ा व्यवसायी, हरिद्वार के एक प्रापर्टी डीलर, एक साधु समेत चार आरोपितों को गिरफ्तार किया है। आरोप है कि इन सभी ने आश्रम पर कब्जा कर उसे बेचने की नीयत से पूरी साजिश रची थी। उन्होंने हत्या के बाद शव को बोरे में रखकर उसे गंगा में बहा दिया।पुलिस के मुताबिक 10 करोड़ में आश्रम का सौदा कर मोटा मुनाफा कमाने की तैयारी थी।
शनिवार को एसएसपी प्रमेन्द्र सिंह डोबाल ने बताया कि पूरे मामले का मास्टरमाइंड दिल्ली निवासी कपड़ा व्यापारी अशोक है, जो बाइक चोरी में पहले भी जेल जा चुका है। आरोपितों ने पूरे सुनियोजित तरीके से हत्याकांड को अंजाम दिया। वह आश्रम बेचकर मोटा मुनाफा कमाने की फिराक में थे। पुलिस अब आरोपितों की निशानदेही पर संत के शव की तलाश कर रही है। पुलिस के मुताबिक 17 अक्टूबर को आश्रम के महंत गोविंद दास के लापता होने की जानकारी कनखल थाना को दी गई थी। पुलिस ने जांच के दौरान संदेह होने पर आश्रम के एक दूसरे साधु से कड़ाई से पूछताछ की तो सारा मामला सामने आ गया।
पकड़े गए आरोपितों की पहचान अशोक कुमार निवासी दुर्गापुरी एक्टेंशन शहादरा थाना ज्योतिनगर दिल्ली, ललित निवासी पृथ्वी विहार सेक्टर- 32 करनाल (हरियाणा), प्रापर्टी डीलर संजीव कुमार त्यागी निवासी मुंडेत थाना मंगलौर हरिद्वार और योगी रामगोपाल नाथ उर्फ गोपाल सिंह निवासी ग्राम कोहरा थाना सजेती तहसील घाटमपुर जिला कानपुर (उत्तर प्रदेश) के रूप में हुए है। अन्य दो आरोपितों सौरभ व प्रदीप की तलाश जारी है।इस तरह दिया घटना को अंजाम
मास्टरमाइंड अशोक कपड़े बेचने के लिए आश्रम एवं आसपास के इलाकों में आता था। कभी-कभी वह एक या दो दिन के लिए आश्रम में रुकता भी था। इस दौरान उसकी जान-पहचान महंत राम गोविंद दास से हुई। अशोक महंत गोविंद दास को 2021 से जानता था। वह फरवरी माह 2024 में आश्रम में आया था और करीब तीन माह आश्रम में ठहरा। इसी दौरान वह अपने साथी ललित, सौरभ व प्रदीप को भी आश्रम में बुलाता रहता था। उसने इस बीच आश्रम की पूरी जानकारी एकत्र कर ली। महंत का कोई उत्तराधिकारी न होने के कारण और शहरी क्षेत्र में आश्रम के होने से उनके मन में लालच आ गया। पुलिस के मुकाबिक अशोक जब वापस गया तो उसने अपने साथियों ललित, सौरभ व प्रदीप के साथ साजिश रचते हुए महंत को रास्ते से हटा करोड़ों की संपत्ति पर कब्जा कर उसे बेचने का प्लान बनाया। प्लान के मुताबिक उन्होंने सबसे पहले आश्रम में लगे सीसीटीवी कैमरे हटा दिए। एक जून 2024 को महंत रामगोविंद दास को पहले नशे का इंजेक्शन लगाकर बेहोश किया। फिर गला घोंटकर हत्या कर दी। इसके बाद शव को बोरे में भर कर किराए की स्कूटी से गंगा में फेंक दिया। इसके बाद अशोक ने तीन जून को अपने परिचित साधू रामगोपाल नाथ को लालच देकर आश्रम की निगरानी के लिए बुलाया। सबने मिलकर अफवाह फैला दी कि महंत रामगोविंद दास धर्म प्रचार के लिए अयोध्या गए हैं। आश्रम की देखरेख के लिए बुलाए गए साधु को भी पहले यही बताया गया पर उसे आश्रम में रहने के दौरान महंत रामगोविंद दास की हत्या की जानकारी मिली। मगर वह भी लालच वश चुप रहा।
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