हल्द्वानी: पिथौरागढ़ तक भाई का शव ले जाने के लिए एक बहन के पास पैसे नहीं थे। एंबुलेंस चालकों ने संवेदनशीलता दिखाने के बजाय शव घर तक पहुंचाने के एवज में 12 हजार रुपये किराये की मांग कर दी। ऐसे में बहन ने अपने गांव के बोलेरो चालक को बुलाया और शव को बोलेरो की छत पर बांधकर पिथौरागढ़ ले गई।
तमोली ग्वीर बेरीनाग (पिथौरागढ़) निवासी शिवानी हल्दूचौड़ में एक कंपनी में करीब छह महीने से नौकरी कर रही है। पिता गोविंद प्रसाद बुजुर्ग हैं और पहाड़ पर ही खेतीबाड़ी करते हैं। उसने अपने 20 वर्षीय भाई अभिषेक को भी कंपनी में काम करने बुलाया। दो महीने पहले ही अभिषेक हल्दूचौड़ पहुंचा। शिवानी ने बताया कि बीते शुक्रवार सुबह वह और भाई दोनों काम करने गए थे। एक घंटा काम के बाद अभिषेक ने सिर दर्द कहकर कंपनी से छुट्टी ली और घर आ गया। इसके बाद उसे कई बार काल की, लेकिन अभिषेक ने काल नहीं उठाई।
करीब ढाई बजे पुलिस ने शिवानी को सूचना दी कि उसका भाई रेलवे पटरी के पास बेसुध गिरा है। पुलिस की मदद से अभिषेक को सुशीला तिवारी अस्पताल लाया गया। जहां डाक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया। अभिषेक ने जहर खाया था। शनिवार को पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम कराकर स्वजन सौंपा।
शिवानी के पास इतने पैसे नहीं थे कि वह शव को एंबुलेंस में घर ले जा सके। उसने एंबुलेंस वालों से पूछा तो किसी ने 10 तो किसी ने 12 हजार रुपये मांगे। इस पर शिवानी ने पैसे की कमी के कारण अपने गांव के बोलेरे वाहन चालक से संपर्क किया। इसके बाद शव को वाहन की छत पर बांधकर बेरीनाग ले जाया गया।
सिस्टम को कोसकर गई शिवानी
शिवानी का कहना था कि उसके भाई की मौत हो गई। वह अकेले कई एंबुलेंस चालकों के पास गई। हर किसी के आगे गिड़गिड़ाई। मदद मांगी। कम पैसे में शव को घर तक छोड़ने के लिए कहा, मगर कोई नहीं माना। पैसे नहीं हुए तो मजबूरी में उसके गांव वाले ही काम आए।
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