देहरादून: प्रदेश में भू-कानून ताक पर रखकर मनमाने ढंग से की गई भूमि खरीद को लेकर सरकार सख्त हो गई है। ऐसी खरीद को रद किया जाएगा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि नगर निकाय क्षेत्रों से बाहर 250 वर्गमीटर से अधिक भूमि की बिना अनुमति खरीद के प्रविधान का उल्लंघन हुआ है। एक ही परिवार के एक से अधिक सदस्यों का अलग-अलग नाम से भूमि खरीदना अवैध है। ऐसे प्रकरणों की जांच कराने के बाद खरीदी गई भूमि सरकार में निहित की जाएगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश की भौगोलिक परिस्थितियों के अनुरूप वृहद एवं कड़ा भू कानून अगले बजट सत्र में लाया जाएगा।
सचिवालय स्थित मीडिया सेंटर में शुक्रवार को पत्रकारों से बातचीत में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि वर्तमान में कोई भी व्यक्ति बिना अनुमति के नगर निकाय क्षेत्र से बाहर 250 वर्गमीटर भूमि खरीद सकता है। सरकार के संज्ञान में आया है कि एक ही परिवार में अलग-अलग नाम से भूमि खरीद कर भू-कानून के प्रविधानों का उल्लंघन किया जा रहा है। ऐसे प्रकरणों की सरकार जांच कराएगी। जिन व्यक्तियों ने ऐसा किया है, उनकी भूमि राज्य सरकार में निहित की जाएगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में पर्यटन, उद्योग समेत व्यावसायिक गतिविधियों के लिए अनुमति लेकर की गई भूमि खरीद का उपयोग अन्य प्रयोजन में करने या ऐसे प्रयास करने की जानकारी सामने आई है। ऐसी भूमि का विवरण जिलों से एकत्र किया जा रहा है। जिस प्रयोजन के लिए भूमि खरीद की गई, उसे अन्य प्रयोजन में प्रयोग में नहीं लाया जा सकता। ऐसी भूमि भी राज्य सरकार में निहित की जाएगी। मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि वर्ष 2017 में भूमि खरीद संबंधी नियमों में किए गए परिवर्तन के सकारात्मक परिणाम नहीं रहे हैं। भू-कानून में किए गए इस प्रकार के परिवर्तन की समीक्षा की जाएगी। आवश्यकता के अनुरूप इन प्रविधानों को समाप्त किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड के मूल स्वरूप को बचाने के लिए सरकार ऐसे कदम उठा रही है, लेकिन इससे निवेश करने वाले व्यक्तियों अथवा संस्थाओं को परेशान होने की आवश्यकता नहीं है। पर्यटन, शिक्षा, उद्योग, व्यापार समेत विभिन्न क्षेत्रों में उद्यमों की स्थापना और रोजगार के सृजन के लिए अनुमति लेकर भूमि का उपयोग करने वालों को किसी प्रकार की कठिनाई नहीं होने दी जाएगी। प्रदेश सरकार भू-कानून और मूल निवास के मुद्दे को लेकर संवेदनशील है।
मार्च, 2021 से अब तक लंबे समय से चली आ रही समस्याओं का निराकरण सरकार ने ही किया है। वह प्रदेश की जनता को विश्वास दिलाते हैं कि भू-कानून के मुद्दे का समाधान भी हमारी सरकार ही करेगी। भू-कानून प्रारूप समिति विस्तार के साथ समस्त समस्याओं और उनके निस्तारण के लिए उठाए जाने वाले कदमों का परीक्षण कर रही है।
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